आज के समय में साइबर क्राइम एक साधारण बात हो गई है | अगर उसका कारण जाने तो जहां अपराधी नई तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं वहां पर आम लोगों के द्वारा भी की हुई गलतियां इन अपराधियों को एक मौका देती है कि साइबर क्राइम को अंजाम में लाया जा सके| हमने साइबर क्राइम की काफी f.i.r. देखी है जिसमें काफी कुछ सीखने को भी मिल रहा है दूसरों की गलतियों से| अगर हम इन गलतियों को ना दोहराएं, तो हम भी साइबर क्राइम का शिकार होने से बच सकते हैं |
जब हम किसी बैंक या सर्विस प्रोवाइडर के कस्टमर केयर का नंबर ढूंढने की कोशिश करते हैं तो हम कंपनी की वेबसाइट पर ना जाकर गूगल के ऊपर ही सर्च कर लेते हैं | इसी ट्रेंड को देखते हैं साइबर क्रिमिनल | साइबर क्रिमिनल्स अपना नंबर को कस्टमर केयर सर्विस प्रोवाइडर का बना लेते हैं और उसको गूगल पर अपनी ही वेबसाइट पर रख कर छोड़ देते हैं | अब आम जनता गलती क्या करती हैं इस नंबर पर कॉल करके समझती है कि उसने किसी बैंक के एंप्लॉय को कॉल किया है | ऐसा ही हुआ एक व्यक्ति के साथ जो इस गलती के कारण साइबर क्रिमिनल के शिकंजे में फंस गया | जब उस व्यक्ति ने गूगल सर्च से मिले हुए कस्टमर केयर सर्विस पर कॉल किया तो साइबर क्रिमिनल ने इस व्यक्ति के मोबाइल पर एक लिंक भेजा | उस लिंक में उस व्यक्ति ने गलती से अपना यूजरनेम अपना पासवर्ड भर दिया यह सोच कर कि यह लिंक बैंक की वेबसाइट से जनरेट हुआ है | उसके बाद ओटीपी फॉर वेरीफिकेशन बी इस व्यक्ति ने उस लिंक में डाल दिया जिसके बाद उसको पता चला कि उसके खाते में से लगभग ₹40000 जा चुके हैं | साइबर क्राइम में हमें सीख मिली की गूगल सर्च पर जाकर किसी अनवेरीफाइड कॉल सेंटर के नंबर को डायल करने की बजाय आप बैंक की मेन वेबसाइट पर जाकर दिए हुए नंबर पर ही बात करें और किसी भी तरह का अनवेरीफाइड ऐप ना तो डाउनलोड करें और ना ही अपने ओटीपी को किसी लिंक के थ्रू भी शेयर करें |
अगर आप भी किसी साइबर क्राइम का शिकार होते हैं तो बेझिझक होकर अपने बैंक के कस्टमर केयर, ऑनलाइन साइबर क्राइम पोर्टल पर जाकर अपनी कंप्लेंट रजिस्टर करें और अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन पर जाकर या साइबर क्राइम सेल पर जाकर अपनी रिटर्न कंप्लेंट दें | आप जितना देर करेंगे उतना साइबर क्रिमिनल को समय मिलेगा कि वह आपके पैसे कहीं दूसरी जगह ट्रांसफर करके वहां से गायब हो जाए |